साधारणतयाः चौघडिया ४ घडी यानि १ घंटा ३६ मिनट का माना गया है। सुक्ष्म में दिनमान अथार्त सूर्य उदय से सूर्यास्त के होने वाले बीच के समय को ८ से भाग देने से जो समय निकलता हैं, उतना समय का एक चौघडीया का मान निकलता है। उदेग्न, चंचल , अमृत, लाभ , काल़ , शुभ , रोग इनके नाम है। लाभ, अमृत, शुभ आदि का चौघडिया कार्य सिद्धी के लिये उत्तम माना गया है। | दिन का चौघडियाँ से | तक | रवि | सोम | मंगल | बुध | गुरु | शुक्र | शनि | ६:०० | ७:३० | उद्वेग | अमृत | रोग | लाभ | शुभ | चर | काल | ७:३० | ९:०० | चर | काल | उद्वेग | अमृत | रोग | लाभ | शुभ | ९:०० | १०:३० | लाभ | शुभ | चर | काल | उद्वेग | अमृत | रोग | १०:३० | १२:०० | अमृत | रोग | लाभ | शुभ | चर | काल | उद्वेग | १२:०० | १:३० | काल | उद्वेग | अमृत | रोग | लाभ | शुभ | चर | १:३० | ३:०० | शुभ | चर | काल | उद्वेग | अमृत | रोग | लाभ | ३:०० | ४:३० | रोग | लाभ | शुभ | चर | काल | उद्वेग | अमृत | ४:३० | ६:०० | उद्वेग | अमृत | रोग | लाभ | शुभ | चर | काल | रात का चौघडियाँ से | तक | रवि | सोम | मंगल | बुध | गुरु | शुक्र | शनि | ६:०० | ७:३० | शुभ | चर | काल | उद्वेग | अमृत | रोग | लाभ | ७:३० | ९:०० | अमृत | रोग | लाभ | शुभ | चर | काल | उद्वेग | ९:०० | १०:३० | चर | काल | उद्वेग | अमृत | रोग | लाभ | शुभ | १०:३० | १२:०० | रोग | लाभ | शुभ | चर | काल | उद्वेग | अमृत | १२:०० | १:३० | काल | उद्वेग | अमृत | रोग | लाभ | शुभ | चर | १:३० | ३:०० | लाभ | शुभ | चर | काल | उद्वेग | अमृत | रोग | ३:०० | ४:३० | उद्वेग | अमृत | रोग | लाभ | शुभ | चर | काल | ४:३० | ६:०० | शुभ | चर | काल | उद्वेग | अमृत | रोग | लाभ |
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