 ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम् | उमासुतम् शोक विनाश कारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम् || गाइये गणपति जगवंदन | शंकर सुवन भवानी के नंदन॥ सिद्धी सदन गजवदन विनायक | कृपा सिंधु सुंदर सब लायक॥ मोदक प्रिय मृद मंगल दाता | विद्या बारिधि बुद्धि विधाता॥ मांगत तुलसीदास कर जोरे | बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥
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