सावन की रुत हैं आ जा माँ, हम झुला तुझे झुलायगें फुलों से सजायेंगे तुझको, मेंहदी हाथों में लगायेंगे.... सावन की रुत हैं आ जा कोई भेंट करेगा चुनडी, कोई पहनायेगा चुडी, माथे पे लगायेगा माँ कोई भक्त तिलक सिंदुरी, कोई लिये खडा है पायल, लाया है कोई कंगना, जिन राहों से आयेंगी माँ तु भक्तों के अंगना , हम पलके वहाँ बिछायेंगे ... सावन की रुत हैं आ जा माँ अंबुवा की डाली पे झुला भक्तों ने सजाया, चंदन की बिछाई चौकी, श्रद्धा से तुझे बुलाया, अब छोड ये आखँ मिचौली, आ जा ओ मैया भोली, हम तरस रहे है कब से सुनने को तेरी बोली, कब तेरा दर्शन पायेंगे .... सावन की रुत हैं आ जा लाखों है रुप माँ तेरे चाहे जिस रुप में आ जा, नैनों की प्यास बुझा जा बस इक झलक दिखला जा, झुले पे तुझे बिठा के तुझे दिल का हाल सुनाके, फिर मेवे और मिश्री का तुझे प्रेम से भोग लगाके तेरे भवन पे छोड के आयेगे ...... सावन की रुत हैं आ जा सावन की रुत हैं आ जा माँ, हम झुला तुझे झुलायगें हैं फुलों से सजायेंगे तुझको, मेंहदी हाथों में लगायेंगे.... सावन की रुत हैं आ जा |